Thursday, October 9, 2008

आइये बनाये भाषाओ के पुल

लगभग एक दशक पहलेअमेंरिका में भारतीसाहित्य पर एक सगोष्ठी हुई थी जिसमें भारत की १६ भाषाओं के शीर्ष रचनाकारों ने हिस्सा लिया लिया था यह भारतीय साहित्य की मूल धारा और उसमें निहित एकात्मकता को रेखांकित करने की एक बेमिशाल कोशिश थी । इधर पिचले दिनों महाराष्टमें भी एसी एक और कोशिश हुई है । महारास्ट्रराज्य हिन्दी अकादमी द्वारा मुंबई में आयोजित सर्वभाषा सम्मेंलन में देश की २२ मान्यता प्राप्त भाषाओं के प्रमुख रचनाकारों ने ३ दिन तक विचार -विमर्श के बाद निष्कर्ष की हमारी भाषायें और उनका विपुल साहित्य रास्ट्रीय एकात्मकता कारगर हथियार हो सकता है ।

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