Tuesday, March 17, 2009
वोटो के लिए नोटों का वजन बडरहा है
चुनावी समर के बोल ने सबको क्रेजी कर रखा है ....लेकिन अभी यह दृश्य स्पष्ट नहीं हुआ है कि सरकार केसीकिसकी होगी और कितने दिनों तक चलेगी ? स्थिति असमंजस की है और स्पष्ट जनादेश मुश्किल है ?... गठबंधन का तालमेल ~ घालमेल है .... तीसरा मोर्चा बन चुका है और हर कोई प्रधानमन्त्री बनने की महत्वाकांक्षा पाले बैठा है कौन किसे सपोट देगा , कौन किसका दुश्मन होगा और कौन डबल करेगा यह स्पष्ट नहीं है
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